जानिए धूमकेतु न्यू वॉइज के बारे में

आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा जब  कॉमेट न्यू वाइज गुजरेगा पृथ्वी के करीब से जानिए कॉमेट के सारे रहस्य:-

 22 और 23 जुलाई को आसमान में उस समय अद्भुत नजारा दिखाई देगा, जब कॉमेंट न्यू वाइज C- 2020 /f-3 पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी के निकट से गुजरेगा, और आसमान में नीली और हरी रोशनी की छटा दिखाई देगी, यह धूमकेतु 3 जुलाई को सूर्य के सर्वाधिक करीब था, जो अब पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। 22 और 23 जुलाई को यह पृथ्वी से 20 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर होगा, और यह बिना किसी दूरदर्शी उपकरण की मदद के नंगी आंखों से दिखाई देगा।
यह धूमकेतु तड़के सूर्योदय में उत्तर पूर्व दिशा और सूर्यास्त में उत्तर पश्चिम दिशा में 25 से 30 मिनटों के लिए दिखाई देगा। वैज्ञानिकों के अनुसार आसमान में यह नक्षत्र ऑरीगा के क्षेत्र में स्थित है, और 30 जुलाई तक इसी प्रकार इसे नंगी आंखों से बिना किसी उपकरण की मदद के देखा जा सकता है। हालांकि मानसून के दौरान देश के ज्यादातर हिस्सों में बादल छाए होने के कारण इसे देख पाना देश के कुछ हिस्सों में संभव नहीं होगा।

 पुच्छल तारा या धूमकेतु क्या  है:-

 धूमकेतु या पुच्छल तारा सौरमंडल का भाग है, जो पत्थर, धूल, बर्फ, और गैस के बने हुए छोटे-छोटे भाग हैं ।यह ग्रहों के समान सूर्य की परिक्रमा करते हैं। लंबे पथ वाले धूमकेतु एक परिक्रमा करने में हजारों वर्ष का समय लगाते हैं। वर्तमान न्यू वाइज 6500 साल बाद दोबारा दिखाई देगा, धूमकेतु कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, सिलीकेट, अमोनिया, और कार्बन के मिश्रण से बने होते हैं, सूर्य के पास पहुंचने पर इनमें मौजूद गैस गर्म होकर दूर तक फैल जाती है जिससे इनका आकार झाडू जैसा दिखाई देता है।

धूमकेतु का परिक्रमा पथ और अवधि:-

 सूर्य की परिक्रमा में यह धूमकेतु अंडाकार पथ और  वलयाकार पथ का अनुसरण करते हैं। अंडाकार पथ में परिक्रमा करने वाले धूमकेतु लगभग 6 से 200 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा पूरी करते हैं, जबकि वलयाकार पथ में परिक्रमा करने वाले हजारों वर्षों का समय लेते हैं, जबकि इनकी औसत रफ्तार 40 मील प्रति सेकंड होती है।

अब तक देखे गए धूमकेतु:-

अब तक अनेक धूमकेतु हमारे सौरमंडल में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं, जिनमें प्रमुख हैं हेली, टेंपल वन ,बोरेली, वाइल्ड , शू मेकर लेवी 9, हेल बॉब,  आदि। इनमें से हेली धूमकेतु मार्च 1986 में नंगी आंखों से दिखाई दिया था। इसकी परिक्रमा अवधि 76 वर्ष की है जो वर्ष 2061 में दोबारा दिखाई देगा, इसकी खोज ब्रिटिश खगोल शास्त्री एडमंड हेली ने की थी।
शूमेकर लेवी 9 नामक धूमकेतु 1992 में जुपिटर से टकरा गया, और नष्ट हो गया, सौरमंडल में सर्वाधिक शक्तिशाली चुंबकीय शक्ति से लैस जूपिटर या बृहस्पति किसी भी अवांछित आकाशीय पिंड को अपनी ओर खींच कर हमारे सौरमंडल की रक्षा करता है।
इन सबके अलावा कॉमेट टेंपल टटल धूमकेतु के अवशेष पृथ्वी के परिक्रमा पथ में पड़े हुए हैं, जब ये धूमकेतु पृथ्वी के पास से गुजरा उसने बड़ी मात्रा में अपना मलवा पृथ्वी की परिक्रमा पथ में छोड़ दिया, जिससे प्रतिवर्ष leonid meteor shower  या टूटते तारों की बरसात दिखाई देती है। धूमकेतु के अवशेष जो छोटे-छोटे पत्थरों के टुकड़े हैं, पृथ्वी के वायुमंडल में घुसते ही जल उठते हैं, और इन्हें आम बोलचाल की भाषा में टूटता हुआ तारा कहा जाता है।

धूमकेतु की वास्तविकता:-

वास्तव में धूमकेतु हमारे सौरमंडल की अबूझ पहेलियों में से एक है। इनकी कुल संख्या के बारे में अभी तक कुछ भी निश्चित नहीं हो पाया है। इनकी सौर मंडल में उपस्थिति भी अज्ञात और रहस्य से भरी हुई है। धूमकेतु का परिक्रमा पथ भी अनिश्चितता से भरा हुआ है जो 5 वर्ष से लेकर हजारों वर्षों तक हो सकता है। आकार भी अनिश्चित है प्रत्येक धूमकेतु आकार प्रकार में यूनिक होता है ।इनकी उत्पत्ति और यह कहां से आते हैं, इस विषय में भी अभी तक कुछ ज्ञात नहीं हो पाया है, जैसा कि हमें छुद्र ग्रह के विषय में ज्ञात है, कि वे मंगल और बृहस्पति के बीच में एक पतली पट्टी में परिक्रमा कर रहे हैं ।
इस प्रकार पुच्छल तारों के विषय में अभी और भी बहुत कुछ जानना  शेष  है।
अंततः  न्यू वाईज की उपस्थिति से वैज्ञानिकों ने उत्साह है, और वे इस खगोलीय घटना पर नजर बनाए हुए हैं।

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