नगर निगम मस्त जनता पस्त

 जगदलपुर;- प्रत्येक संगठन या विभाग किसी योजना के अंतर्गत कार्य करता है, जो उस कार्य को करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम होता है। परंतु कभी-कभी किसी संगठन या विभाग की कार्यशैली से कहीं से भी यह आभास नहीं होता कि वह किसी योजना के अनुरूप कार्य कर  रहा है । वर्तमान जगदलपुर नगर निगम की कार्यशैली इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
          

       अगर बात करें शहर के तालाबों की बदहाली का, शहर में चल रहे निर्माण कार्यों का, बदहाल स्ट्रीट लाइट व्यवस्था का, शहर में कुत्तों की बढ़ रही संख्या का, और उनके हमला करने की घटनाओं का, निगम में वर्चस्व की लड़ाई के घमासान का, कोरोना काल में कर वसूली का दबाव बनाने का, यह लिस्ट बड़ी लंबी है, लेकिन निगम प्रशासन की कारगुजारीयों का कोई अंत नहीं है।
         शहर के मुख्य दो तालाबों की बदहाली किसी से छुपी नहीं है, दोनों ही तालाब गंदगी से पटे पड़े हैं, सौंदर्यीकरण के लिए किए गए निर्माण टूट-फूट चुके हैं। और  लगभग ध्वस्त होने की कगार पर है। यदि निर्माण कार्य की बात करें तो धरमपुरा मार्ग में रोड डिवाइडर का निर्माण औचित्य हीन है,  क्योंकि जिस सड़क पर बरसात में 4 से 5 फीट पानी भर जाता है, वहां स्थाई रोड डिवाइडर से समस्या में और इजाफा ही होगा ,जबकि इस सड़क पर ट्रैफिक का दबाव भी अधिक नहीं है। यदि डिवाइडर बनाया जाना इतना ही आवश्यक है ,तो सीमेंट ब्लॉक के अस्थाई  डिवाइडर इस सड़क पर बेहतर विकल्प हो सकते थे।
        इन दिनों  गीदम रोड में बड़े नाले के ऊपर पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। मुख्य मार्ग होने के बावजूद सड़क को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है, जबकि  ऐसे मुख्य मार्ग के पुल का निर्माण आधे आधे हिस्से में करके आवागमन को वनवे में जारी रखा जा सकता था। बरहाल गीदम रोड बंद होने के बाद सारा ट्रैफिक गंगा मुंडा तालाब के ऊपर से नगर निगम के सामने से मुख्य मार्ग में आ रहा है। इस सहायक मार्ग के सुचारू आवागमन को लेकर निगम प्रशासन पूरी तरह उदासीन बना हुआ है। इस सड़क को लोगों ने अवैध रूप से बाधित किया हुआ है जिससे लगातार जाम की स्थितियां बनी हुई है और वाहन चालक और स्थानीय निवासी लगाता समस्याओं से जूझ रहे हैं। शायद किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार निगम प्रशासन को है।
       कई वार्डों में दिन में जलने वाली स्ट्रीट लाइट अक्सर रात में बंद रहती है। और तो और कई लोगों ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके अपने घर के सामने तीन से चार स्ट्रीट लाइट लगवा रखी है। वहीं कई बिजली के पोल अंधेरे में डूबे हुए हैं। और यह सब निगम प्रशासन की नाक के नीचे ही हो रहा है।
      शहर में कुत्तों का आतंक, दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। कुछ वर्षों पूर्व स्वान नसबंदी के द्वारा इनकी संख्या नियंत्रित करने का प्रयास किया गया था। परंतु वर्तमान में ऐसी किसी योजना का सर्वथा अभाव है। वही गाय बैल जैसे पशुओं के लिए निर्मित कांजी हाउस बंद हो चुके हैं। और शहर के सभी मुख्य मार्ग पर इन पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है।
      शहर के लगभग सभी मुख्य मार्गों पर भवन निर्माण सामग्री  बिखरी पड़ी है, जो दुर्घटनाओं को न्योता दे रही है। इस  ओर नगर निगम ने अपनी आंखें पूरी तरह से बंद कर  ली हैं।
        गत दिनों अटल आवास के निवासियों को 30 से 40, हजार तुरंत भुगतान करने अन्यथा बेदखली की कार्रवाई का नोटिस सुर्खियों में आया, जबरदस्त विरोध के बाद नगर निगम को अपना यह आदेश वापस लेना पड़ा, कोरोना काल में  यह आदेश संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
      संपत्ति कर की वसूली के लिए टेक्स् मुहर्रिर द्वारा लोगों पर टैक्स भरने का दबाव लगातार बनाया जा रहा है। जो इस समय निगम प्रशासन की मंशा पर सवालिया निशान लगाता है।
     गत दिनों मेडिकल कॉलेज के साइकिल स्टैंड के ठेके को लेकर, निगम के दो प्रमुख नेताओं के बीच टकराव किसी से छुपा नहीं है। वहीं मेडिकल कॉलेज  जैसी जगह पर साइकिल स्टैंड के नाम पर भविष्य में होने वाली वसूली सर्वथा अनुचित है।
            नगर निगम में विपक्ष के नेता संजय पांडे कहते हैं, कि जब से गत वर्ष 2020 जनवरी से नए नगर निगम कार्यकारिणी का गठन हुआ है, तब से प्रशासनिक अक्षमता, भाई भतीजावाद, उदासीनता, और अनियमितता अपनी चरम सीमा में पहुंच चुकी है, और जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स पैसे का बंदरबांट हो रहा है।
    इस प्रकार निगम प्रशासन की कारगुजारीयो का कोई अंत नहीं है।  समय रहते प्रशासनिक अक्षमता और अनदेखी पर यदि रोक नहीं लगाई गई, तो भविष्य में शहर वासियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

1 comment:

  1. jagdalpur nagar palik nigam ko aina dikhane ke liye aap ko badhai. bhavishya me bhi jagrookta banaye rakhne hetu lage rahe afsos fir bhi nigam sota hi rahega.

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