क्या है,राष्ट्रपति पद की चुनाव प्रक्रीया,और गणितीय मत मूल्य ?
राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया और
औपचारिकताएं —:
राष्ट्रपति भारतीय संवैधानिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण पद है, जुलाई 2022 में भारत मैं नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया की जाएगी,भारत में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संविधान में कुछ निश्चित प्रक्रिया और विधि का वर्णन किया गया है, राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष चुनाव पद्धति द्वारा एकल संक्रमणीय मत के आधार पर होता है !भारत देश में राष्ट्रपति का पद बहुत ही महत्वपूर्ण है, यद्पि वह कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होते हुए भी केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह के अनुसार ही कार्य करता है ,दूसरे शब्दों में कहें तो राष्ट्रपति देश का औपचारिक प्रमुख होता है, और संघ की वास्तविक शक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल में निहित होती है !अब तक के संवैधानिक इतिहास में सिर्फ प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का चुनाव दो कार्यकाल के लिए हुआ था, इसके अतिरिक्त अन्य किसी ने राष्ट्रपति के रूप में अपना दो कार्यकाल पूरा नहीं किया है !
इस लेख में राष्ट्रपति के चुनाव का पूरा गणित समझने का प्रयास करेंगे और यह चुनाव क्यों गणितीय गढ़नाओ में उलझा हुआ है, यह भी जानने का प्रयास करेंगे !
सबसे पहले राष्ट्रपति पद की संवैधानिक स्थिति पर नजर डालते हैं !
जानिए राज्यपाल के पद को क्यों समाप्त कर देना चाहिए !
राष्ट्रपति पद की योग्यता —; संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति पद के योग्य निम्न दशाओं में हो सकता है, पहला व भारत का नागरिक हो दूसरा उसने 35 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो तीसरा लोकसभा का सदस्य निर्वाचित किए जाने की योग्यता उसके पास हो और इसके अलावा वह भारत सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर ना हो !
राष्ट्रपति का वेतन और भत्ते :-- राष्ट्रपति को वेतन के रूप में प्रतिमाह 5 लाख रुपए मिलते हैं, और यह सारी राशि कर मुक्त होती है! इसके अतिरिक्त आजीवन फ्री मेडिकल ,आवास की सुविधा भी उसे मिलती है ! देश और विदेश की यात्राएं मुफ्त होती है ! इसके अतिरिक्त कार्यालय के कर्मचारियों के लिए अलग से भत्ता भी मिलता है रिटायर होने के बाद भी राष्ट्रपति को सामान्य जीवन निर्वाह के लिए कई सुविधाएं प्राप्त हैं जिनमें डेढ़ लाख रुपए पेंशन फ्री आवास फ्री मेडिकल और अन्य सुविधाएं !
राष्ट्रपति के लिए निर्वाचक मंडल —: संविधान के अनुच्छेद 54 के अंतर्गत संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल होते हैं ;इस प्रकार राष्ट्रपति के अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में संसद के दोनों सदनों के सदस्य और राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं !
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान स्थल —:
राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए सांसदों के लिए संसद भवन दिल्ली में मतदान स्थल निश्चित किया गया है, वहीं राज्यों में राज्य की राजधानी में विधान सभा के सदस्यों के लिए चुनाव स्थल निर्धारित किया गया है , हालांकि सांसद अपने राज्य की राजधानी में भी मतदान कर सकता है, लेकिन उसे इसकी पूर्व सूचना देनी पड़ती है !
राष्ट्रपति चुनाव के लिए मत मूल्य —--: जैसा कि हमें ज्ञात है कि राष्ट्रपति के मतदान में राज्य विधानसभा और सांसद के चुने हुए प्रतिनिधि ही भाग लेते हैं, और उनका मत मूल्य गणितीय गणना के आधार पर निर्धारित किया जाता है, तो पहले देखते हैं विधानसभा के विधायकों का मत मूल्य किस प्रकार से निर्धारित होता है
राज्य की कुल जनसंख्या
विधायक का मत मूल्य = —----------------------------------------------------
राज्य के कुल विधायकों की संख्या x 1000
इसे कुछ उदाहरणों से समझने का प्रयास करते हैं जैसे यदि छत्तीसगढ़ राज्य की बात करें तो यहां की कुल जनसंख्या 1971 की जनगणना के अनुसार 11637494 थी और कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या 90 है तो यहां के विधायकों का कुल मत मूल्य होगा
11637494
कुल मत मूल्य = —-------------------------- = 11610 छत्तीसगढ़ की विधानसभा का कुल मत मूल्य
90 x 1000
इसी प्रकार से उत्तर प्रदेश की विधानसभा के विधायकों के मत मूल्य की गणना करने पर निम्न मत मूल्य प्राप्त होगा
83849905
कुल मत मूल्य = —------------------------- = 83824 उत्तर प्रदेश की विधानसभा का कुल मत मूल्य
403 x 1000
इसी प्रकार सारे राज्यों की विधानसभाओं के मत मूल्य की गणना कर उन्हें जोड़ा जाता है और इन्हीं के आधार पर सांसदों के मत मूल्य का निर्धारण होता है
यदि देश की सभी विधानसभाओं के मत मूल्य को जोड़ा जाए तो वह 5,49,474 होगा
अब देखते हैं सांसदों के मत मूल्य किस प्रकार निर्धारित होते हैं
कुल सांसदों जिनमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित हैं उनकी संख्या लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 233 है, सम्मिलित रूप से यह संख्या 776 होती है !
एक सांसद की मत मूल्य को निर्धारित करने वाला फार्मूला
राज्य की विधानसभाओं की कुल मत मूल्य (5,49,474 )
______________________________________________= 708.85
कुल निर्वाचित सांसदों की संख्या (776 )
प्राप्त संख्या 708 को सांसदों की कुल संख्या से गुणा करके संसद सदस्यों के कुल मत मूल्य की गणना संपन्न होती है !
सांसदों का कुल मत मूल्य = 708 x 776 = 5,49,408
इस प्रकार उपयुक्त गणना के आधार पर हम पाते हैं, कि राज्य विधानसभाओं के कुल मत मूल्य सांसदों के कुल मत मूल्य के लगभग बराबर ही हैं ,इस प्रकार यदि हम कुल मत मूल्य की गणना करें तो वह इस प्रकार हो सकता है !
विधानसभाओं की कुल मत संख्या + संसद की कुल मत संख्या = देश का संपूर्ण मत मूल्य
5,49,474 + 5,49,408 = 10,98,882
उपर्युक्त गणना के आधार पर राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न होता है,लेकिन इस बार के चुनाव में मत मूल्यों में कुछ कमी आने की संभावना है, क्योंकि लोकसभा की 3 सीटें और राज्यसभा की 16 सीटें खाली पड़ी है, और जम्मू कश्मीर की विधानसभा को भी भग कर दिया गया है !
इस बार सांसदों का कुल मत मूल्य 708 से घटकर 700 रहने की संभावना है !
ऐसी आशा है कि, इस बार के चुनाव में देश भर से 4120 विधायक इस चुनाव में भाग लेंगे और कुल मतों या संपूर्ण मतों की संख्या 10,92,640 रहने की उम्मीद है, और इस संपूर्ण मत का 50 प्रतिशत प्राप्त करने वाला प्रत्याशी विजेता होगा और भारत का नया राष्ट्रपति कहलाएगा !
जानिए राज्यपाल के पद को क्यों समाप्त कर देना चाहिए !
राष्ट्रपति चुनाव के लिए गणितीय गढ़नाओ की आवश्यकता क्यों है —:
एक बड़ा सवाल यह है कि, राज्य के विधानसभाओं और सांसदों के मत मूल्यों के लिए इस तरह की गणितीय गढ़नाओ की आवश्यकता क्यों है साथ ही अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं के लिए मत मूल्यों में अंतर क्यों है !
तो इसका सीधा सा जवाब यह है कि राज्यों की जनसंख्या में व्यापक, असमानता है, जहां 1971 की जनगणना के अनुसार सिक्किम की जनसंख्या 209841 विधानसभा का मत मूल्य 224 है ,वही उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 83,849,905 है और मत मूल्य 83,824 है, स्वाभाविक है कि इस तरह से सारे राज्यों को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए गणितीय गढ़नाओं की आवश्यकता पड़ती है !
संविधान के अनुच्छेद 55 के खंड 1 और 2 में सारे राज्यों को समान और एक रूप प्रतिनिधित्व देने का सिद्धांत निर्धारित किया गया है, इसीलिए गणितीय गणना के आधार पर सारे राज्यों और संसद सदस्यों के मत मूल्य की गणना करके समान प्रतिनिधित्व दिया जाता है !
एकल संक्रमणीय मत पद्धति —-: राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा गुप्त मतदान रीति से होता है !अर्थात सभी मतदाताओं को मतपत्र पर अपनी प्राथमिकता अनुसार उम्मीदवारों का 1,2 और 3 के अनुसार क्रम में चयन करना होता है ! अर्थात मतदाताओं को अपनी पसंद का पहला दूसरा और तीसरा प्रत्याशी चुनना होता है जीतने के लिए प्रत्याशी को कुल वैध मतों का 50% प्राप्त करना अनिवार्य है इसलिए मतदान की गणना कई चरणों में होती है पहले प्रथम चक्र में पहली पसंद के आधार पर गणना होती है यदि किसी भी उम्मीदवार को 50% का कोटा प्राप्त नहीं हो तो फिर से दूसरे चरण और फिर तृतीय चरण की मतगणना की जाती है इन चरणों में जिस उम्मीदवार को सबसे कम मत प्राप्त होते हैं उसके मत दूसरे उम्मीदवार को हस्तांतरित कर दिए जाते हैं और इस प्रकार से यह गणना न्यूनतम 50% कोटा प्राप्त करने तक जारी रहती है !
राष्ट्रपति पद हेतु चुनाव की तारीखें —-: इस बार के राष्ट्रपति पद चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है ,और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 जून निर्धारित है !मतदान की तारीख 18 जुलाई निर्धारित है , ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 20 जुलाई तक संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी ,24 जुलाई को निवर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा हो जाएगा भारत के 9 वे राष्ट्रपति नीलम संजीवा रेड्डी जो कि एक मात्र निर्विरोध निर्वाचित राष्ट्रपति हैं के समय से ही यह परंपरा चली आ रही है कि नए राष्ट्रपति 25 जुलाई को शपथ ग्रहण करते हैं !
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार –:
इस बार राष्ट्रपति पद के लिए मुख्य 2 उम्मीदवार हैं, जिनमें एनडीए जिनका नेतृत्व भारतीय जनता पार्टीकर रही है,उसने अपना उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को बनाया है !वहीं मुख्य विपक्षी दलों ने मिल उम्मीदवारयशवंत सिन्हा को बनाया है !द्रोपदी मुर्मू पहले झारखंड की राज्यपाल रह चुकी है, और वह उड़ीसा जैसे पिछड़े राज्य
से आती हैं, जहां उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगा दिया है ! दूसरे उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की बात
करें तो पूर्व प्रशासनिक अधिकारी और पूर्व वित्त मंत्री जैसे पदों पर रहते हुए उन्हें प्रशासनिक क्षेत्र का व्यापक
अनुभव है,लेकिन जैसा हमें पहले से ज्ञात है कि राष्ट्रपति पद प्राप्त करने के लिए अनुभव और योग्यता की बजाए मतों का अधिक महत्व है ! राजनीतिक जानकारों के अनुसार इस चुनाव मे द्रोपदी
मुर्मु के पक्ष मे 60% वोट पड़ने की सम्भावना है !
कौन होगा अगला राष्ट्रपति —:
यह सवाल बड़ा महत्वपूर्ण है कि, कौन होगा अगला राष्ट्रपति, सवाल जितना महत्वपूर्ण है उतना ही
आसान भी है, क्योंकि स्वाभाविक रूप से राष्ट्रपति पद पर वही व्यक्ति चुना जाएगा जिसका समर्थन
सबसे अधिक विधायक और सांसद मत मूल्य वाली पार्टी करेगी जो कि इस समय भाजपा के नेतृत्व
वाली N D A है ! तो इससे स्पष्ट होताहै, कि अगली राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ही होंगी ! जैसा कि हमें पता है कि निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
दलित समाज से आते हैं ! वही अगली राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू आदिवासी समाज से हैं, तो भारतीय जनता पार्टी ने
यहां पर 1 तीर से 3 निशाने साधे हैं, पहला उन्होंने एक महिला को राष्ट्रपति बनाकर महिला सशक्तिकरण
का संदेश महिलाओं को दिया है,वहीं दूसरे स्थान पर उन्होंने आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाने का
संदेश भी दिया है, इसके अलावा उड़ीसा राज्य जहां से द्रोपदी मुर्मू आती है, वहाँ अभी तक भारतीय जनता
पार्टी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाई है, उसका भी प्रयास इस कदम से दिखाई देता है !
इसे भी पढिए ,संसदीय सचिव कौन है ? और यह पद क्यों है विवादो मे !
तक के राष्ट्रपतियों की सूची और उनके कार्यकाल
Post a Comment